4000 साल पूर्व इश्वर ने मेसोपोटेमिया में अब्राम को दर्शन देकर बोले अपने देश, अपने लोगो को छोड दो, अपने पिता के परिवार को छोड दो और उस देश में जाओ जिसे मे तुम्हे दिखाऊंगा, में तुमसे एक महान राष्ट्र बनवाऊंगा । अब्राम ईश्वर की आज्ञा मान, उनके वादे किए हुए कानन देश में चले गए । जहाँ पुत्र इशाक एवं पौत्र जेकब के साथ निवास करने लगे, बाद मे इजराईल नाम से प्रसिद्ध हुए । कानन देश में अकाल फैलने के कारण इजराईल अपने बारह संतानो के साथ मिश्र चले गए और वंश वृद्धि कर स्वयं को शक्तिशाली जाति के रूप में स्थापित किया ।
मिश्र वासीओ को इस शक्ति वृद्धि से खतरे का अंदेशा होने लगा । इसलिए उन्हे गुलाम बना कर उन पर कठोर अत्याचार करने लगे । 430 वर्ष बाद मिश्र मे मुसा ने उन्हें दासत्व से मुक्ति दिलाई । वे लोहित सागर पार कर अरब चले गए । और वहाँ सिनोय पर्वत में ईश्वर के कानून के बारे में पता चला ।
मुसा के साथ जो मिश्र वासी मिश्र छोडकर आ गये थे उनमें ईश्वर के प्रति आस्था कम होने के कारण वे वादा किए गए स्थान पर प्रवेश नही कर पाए । वे 40 वर्ष तक रेगीस्तान में भटकने के लिए मजबूर हुए । प्रभु पर आस्था रखने वाली नयी पीढी के जन्म के बाद वे यसुओ के साथ वादा किए स्थान पर प्रवेश पा सके।
लगभग 400 वर्ष तक इजराईल की 12 जनजातियों पर न्यायधिशो ने मुसा के कानून अनुसार शासन किया । उसके बाद जब दूसरी जातिओं की तरह उन्होंने भी एक राजा की माँग की, तो ईश्वर ने सोउल को उनका राजा नियुक्त किया । जिन्होंने 40 साल शासन किया, इसके बाद राजा दाउद ने 40 साल और उन्के पुत्र सोलोमन ने 40 साल शासन किया । सोलोमन के शासन काल में इजराईल उन्नति की शिखर पर था ।जब प्रथम मंदिर निर्माण हुआ । ईश्वर के प्रति आस्था न होने के कारण सोलोमन को वृद्धावस्था में ईश्वर ने कहा, 10 जनजाति उनके पुत्र के अधिन नही रहेंगे ।
सोलोमन की मृत्यु पश्चात इजराईल विभाजित हो गया । उतर भाग के 10 जनजातियों का अत्याचारी राजा लगातार शोषण करने लगे । जो राजा दाउद एवम सोलोमन के वंशज नही थे, उतर भाग के इस खण्ड का नाम था इजराईल एवम उसकी राजधानी थी समारिया । दक्षिण का छोटा राज्य यहुदा एवम राजधानी थी येरुसलेम । जिस पर दाउद के वंशजो ने राज किया,”राजा 2 भाग 16” के प्रारंम्भ में दक्षिण में स्थित राज्य के लोगो को यहुदा राज्य के नाम के कारण यहुदी कहा जाने लगा ।
उतर भाग के अत्याचारी राजाओं को उनके व्यवहार के कारण वहाँ से हटना पडा । और अशूरीयों ने उन्हें बंदी बना लिया । इजराईलीयों में जो लोग इन अत्याचारीयों के साथ सामिल थे उस लोगो ने लौट कर इस प्रदेश पर कब्जा कर लिया । ये लोग समारीटन के नाम से जाने जाते है । उतर इजराईल की 10 जनजाति फिर कभी कोई राष्ट्र नही बना पाई ।
यहुदा का दक्षिण भाग भी दूसरे देवताओं के प्रति आस्था प्रदर्शन के दण्ड स्वरूप बेबीलोन के हाथो बंदी बनाया गया, मंदीर ध्वस्त किए गए । लेकिन इसके 70 वर्ष बाद यहुदी फिर् वापस यहुदा में आ गए । और येरुसलेम में पुन: मंदीर स्थापित किए । (फिर से मंदिर बनाया) एवम दाउद के वंशज इस पर राज करते रहे ।
येसु के समय यहुदा यहुदीयों के नाम से प्रसिद्ध हुए जो रोमा साम्राज्य के अधिन थे । प्रभु येसु एवम उनके शिष्यो ने यहुदीयों को अपने घर वापस बुलाने के लिए पुरे यहुदीया में सुसमाचार की घोषणा की । साढे तीन साल के मिशनरी कार्य के बाद यहुदीयों ने येसु को अपना मुक्तिदाता मानने से इंकार किया एवम उन्हें कृष पर चढाने के लिए रोम के राज्यपाल को राजी किया । तीन दिन बाद येसु पुनर्जिवित हुए एवम स्वर्गारोहण करके सर्वशक्तिमान के दाहिने और बिराजित होने से पहले जिवित रूप में शिष्यो के सामने आए ।
कृष पर चढने के कुछ समय पहले उन्होनें भविष्य वाणी की कि उनकी अवहेलना के दण्ड स्वरूप येरुसलेम जल कर राख हो जायेगा, मंदिर ध्वस्त हो जायेंगे एवम यहुदी विक्षिप्त होकर पूरे विश्व में बिखर जायेंगे । 70 के इसाई युग में जब रोम सम्राट तितास से येरुसलेम विजय पायी तब ये भविष्यवाणी सत्य साबित हुई । 1800 साल से भी ज्यादा समय तक यहुदी पूरे विश्व में बिखरे रहे ।
तत्पश्चात 1948 में असंभव संभव हुआ । इजराईल राष्ट्र पुन: प्रतिष्ठित हुआ और यहुदी फिर से वादा किए हुए स्थान पर वापस लौटे । बहूत से इसाई इस घटना को अलौकिक या ईश्वर का आशिर्वाद मानते है । लेकिन क्या ये सचमुच ईश्वर का आशिर्वाद है या किसी अशुभ शक्ति होने का संकेत है । इस फिल्म में इन्ही सभी बातों का जवाब है।
पादरी एंडरसन: आधुनिक इसराइल की स्थापना के निहित उद्देश्य को पूर्णत: समझने के लिए आपको A. D. ७० से लेकर उस समय तक का यहूदियों का इतिहास भली भांति समझना होगा तथा यह भी समझना होगा की अब उनका धर्म पवित्र बाइबिल पर निर्भर नहीं करता। उदाहरण के लिए, मंदिर के तोड़े जाने के पश्चात वहाँ कोई पशु बलि नहीं होती।
Rabbi Mann: जहां तक पशु बलि का सवाल है वह अब तक बंद हो चुका है।
Rabbi Abrami: खत्म।
Rabbi Mann: विकसित यहूदी धर्म के साथ साथ प्रार्थना पद्धति ने विकल्प का रूप ले लिया।
Rabbi Wiener: मैं सोचता हूं कि यह शायद आधुनिकीकरण की शुरूआत और मैं वाकई यकीन करता हूं।
Leader Schesnol: जब उस मंदिर का विनाश किया गया यहूदियेां का कोई केन्द्रीय स्थान नहीं रहा। यह सब बिखर गये। उन्होंने वाकई में यहूदी धर्म का रूप बदल दिया और यहूदी धर्म के उस संक्षिप्त रूप ने याजकों की यहूदी धर्म को रोबाीनिक यहूदी धर्म में रूपांतरित किया।
पादरी एंडरसन: यहूदी धर्म अब पुराने विधान (ओल्ड टेस्टामेंट) पर आधारित धर्म नहीं रहा, अब यह रब्बियों तथा उनकी परम्पराओं, जिन्हें मौखिक टोरा कहते हैं, पर आधारित धर्म हो गया है।
Texe Marrs: तलमुड यहूदियों की पवित्र किताब़ है। यह रब्बीयों के निर्देश थे। इसे रब्बीयों का ज्ञान का रूप माना जाता है।
Rabbi Abrami: तलमुद एक विशाल संकलन है दूसरी सदी के ईसा पूर्व से लेकर पांचवी सदी के महान विचारों का विशाल संकलन है। यह एक तरह का ज्ञानकोष है जो कि यहूदी धर्म के बारे में हमंे जानकारी देता है। उसे अगर और बेहतर तरीके से कहें तो उसे सदियों का यहूदी विकीपीडिया कह सकते हैं। हां क्योंकि बहुत लोग इसका अहम हिस्सा है। यह किसी एक व्यक्ति की तरह लिखा गया नहीं है। हजारों की तादाद में विद्वान और हजारों की तादाद में लेखक । (तलमुद सभी महान भावानाओं का एक विशाल संकलन है जिसमें दूसरी ईसा पूर्व सदी से लेकर पांचवी सदी तक आलोचनाऐं शामिल हैं)
पादरी एंडरसन: यहूदी धर्म के अनुसार मौखिक नियम, जो बाद में तल्मूड के नाम से जाने गए, वे नियम थे जो सत्तर बुजुर्गों को दिए गए जो सिनाई पर्वत की तलहटी में तो इकट्ठे हुए थे परन्तु उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया। फरीसी विश्वास करते थे कि इन बुजुर्गों को मूसा की अपेक्षा अधिक व्यापक तथा गहन ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसे लिखा जाना वर्जित था। यह केवल मौखिक रूप से ही आगे बढ़ाया जाना था। इन मौखिक परम्पराओं को लिखित टोरा के मुकाबले प्रमुखता दी गयी जिन्हें हम उत्पत्ति से व्यवस्था विवरण तक के रूप में जानते हैं। इसका प्रमाण स्वयं तल्मूड में ही मिलता है:
एरुबिन २१ बी : "पुत्र, लेखक के शब्दों पर टोरा के मुकाबले अधिक ध्यान दो।"
Rabbi Mann: और ये ही रूढ़वादी को गैररूढ़वादी से अलग करता है।
पादरी एंडरसन: गैर परंपरावादी तल्मूड को मानव निर्मित मानते हैं?
Rabbi Mann: उसमें ज्यादा कृत्रिमता थी। विकास के समय और विकास के बाद।
पादरी एंडरसन: जबकि आप मानते हैं कि तल्मूड ईश्वर द्वारा अनुप्रेरित है।
Rabbi Mann: ये ईश्वर से प्रेरित है। हां
Rabbi Wiener: शास्त्र से जुड़ी किसी भी चीजों को हमेशा ईश्वर का वचन माना जाता है और वे भी एक बड़े समुदाय द्वारा।
पादरी एंडरसन: इसमें तल्मूड भी शामिल हैं?
Rabbi Wiener: हां।
Texe Marrs: उन्होंने कहा, “तुम मोज़ेज के धर्म में विश्वास नहीं करते हो। तुम्हारा विश्वास तुम्हारे धर्म के लिए है,” उन्होंने यहूदियों से कहा, “तुम्हारे पास तुम्हारे धर्म के लिए बुजुर्गों की परंपराएं हैं”।
मार्क ७. ७ में, ईसा ने फरीसियों से कहा, "पर वे वृथा मेरी उपासना करते हैं क्यों कि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश ठहराके सिखाते हैं."
पादरी एंडरसन: और तल्मूड मानव निर्मित सिद्धांत हैं।
Rabbi Mann: बिना प्रशिक्षित साधारण आदमी के लिए तालमुद का मौखिक कानून को समझना आसान नहीं है, यह जटिल है। शिक्षक चाहिए।
पादरी एंडरसन: क्या एक ठेठ रबी ने इसे आदि से अंत तक पढ़ा है?
Rabbi Wiener: मुझे नहीं पता, उन्होंने क्या पढ़ा है।.
पादरी एंडरसन: क्या तुमने इसे शुरू आखिर तक पढ़ा है?
Rabbi Wiener: मैं नहीं कहूंगा कि मैंने सभी 36 संस्करण पढ़े हैं। लेकिन बहुत से पढ़े हैं।
पादरी एंडरसन: जाहिर है कि तुमने इसमें से काफी कुछ पढ़ा है।
Rabbi Wiener: लेकिन मुझे विश्वास है जो लोग अपनी शक्ति उन्हें पढ़ने में लगाते हैं उन्होंने ऐसा किया हो।
पादरी एंडरसन: यहूदी हमेशा से ये जानते रहे हैं कि यदि ईसाईयों को पता चल गया कि तल्मूड में क्या है तो वे अत्यंत क्रोधित हो जायेंगे। इसिलए यहूदियों ने प्रभु यीशु के लिए अत्यंत निंदनीय बातें छिपा कर रखीं क्योंकि लोग हिब्रू भाषा में बात चिट नहीं करते।
Texe Marrs: यह वह बातें हैं जिसे वो लोग ईसा मसीह के बारे में तलमुड में कहते हैं। इसमें एक हिस्सा ईसा मसीह के बारे में है। असल में, प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में यहूदी स्टडी के डायरेक्टर डॉ शॉफर, जो खुद एक यहूदी हैं, वो इस बारे में एक पूरी किताब लिख रहे हैं। वे एक किताब़ लिख चुके हैं, “जीसस इन द तलमुड”। इसलिए, अगर आपको तलमुड से ईसा मसीह का संबंध जानना हो, तो डॉ शॉफर द्वारा लिखित इस किताब़ “जीसस इन द तलमुड” को प्राप्त करें।
पीटर शेफर प्रिंसटन विश्वविद्यालय में यहूदी अध्ययन प्रमुख हैं।उन्होंने अपनी पुस्तक "जीसस इन तल्मूड" में तल्मूड में प्रभु यीशु का नाम जहाँ जहाँ आया है, उसका उल्लेख तथा विश्लेषण किया है।
पादरी एंडरसन: ध्यान रखो की तल्मूड प्रभु यीशु के जीवन के सैकड़ो वर्षों बाद लिखे गए, अत: इसमें यीशू के सम्बन्ध में घृणित और निंदनीय सन्दर्भ आते हैं।
तल्मूड के अनुसार, यीशु व्यभिचार की संतान थे, मैरी और एक रोमन सिपाही पंतेला की अवैध संतान। यीशु ने अपना प्रारंभिक जीवन मिस्र में बिताया जहाँ उसने काला जादू, मूर्तिपूजा और टोना जैसी विद्या सीखी।
Texe Marrs: ईसा मसीह एक वेश्या के बेटे थे। मैरी एक वेश्या थी। उसके बहुत लोगों से अनैतिक संबंध थे। उनके पिता एक रोमन टुकड़ी के नायक थे।
तल्मूड प्रभु यीशु की और निंदा करते हुए उन्हें मूर्ख कहता है और उनकी तुलना पुराने विधान के बदमाश जैसे बलाम, अहितोफेल, दोएग और गेहाज़ी जैसे लोगों से करता है।
पादरी एंडरसन: तल्मूड यहूदियों द्वारा यीशु जाने की बात कहता है?
Rabbi Mann: अनिश्चित रूप से मेमोनाइट्स का यह मानना था यहूदियों ने उन्हें मारा है और यह कि यहूदियों ने उन्हें मार डाला उनके कुछ सिद्धांतों के लिए और हुआ भी यही।
पादरी एंडरसन: क्या आप विश्वास करते हैं कि यहूदियों ने यीशु को मारा?
Rabbi Mann: यह संभव है कि यहूदियों ने ईशु को मारा। माना कि उन्होंने ऐसा किया। शायद वे मरने के ही लायक थे। शायद वे उपद्रवी थे। चलो मान लेते हैं कि हमने किया, हमने किसी को मारा।
पादरी एंडरसन: तल्मूड वास्तव में यीशु के कम उम्र में मरने की बात बताता है। उसमें कहा गया है, " क्या तुमने सुना है कि बलाम की उम्र क्या थी? उत्तर मिला, खूनी और धोखेबाज़ लोग अपनी उम्र का आधा भी नहीं जीते। आगे बताया गया कि उसकी उम्र ३३-३४ साल की थी।" आप कहेंगे," रुको, यह तो बलाम के विषय में है, यीशु के विषय में नहीं।" किन्तु पृष्ठ के अंत में दिए गए फुटनोट को देखो, " तल्मूड में बलाम को अक्सर यीशु का एक प्रकार बताया गया है। " केवल इतना ही नहीं, यहूदी विश्वकोष भाग २, पृष्ठ ४६९ में बलाम शीर्षक के नीचे कहता है, "बलाम - सान हेड्रिन १०६ बी और गिट्टिन ५७ में यीशु को दिया गया। "
पीटर शेफर पुस्तक "जीसस इन तल्मूड " में कहते हैं कि इस में शक की कोई बात नहीं है कि इसमें विवरण यीशु के सन्दर्भ में ही है। " पुस्तक में में कहा गया है, " इसमें कोई शर्म की बात नहीं है कि हमने एक निंदनीय मूर्तिपूजक को मार गिराया है। यीशु इस मौत के ही लायक था और हमने उसे वह मौत दे दी है। "
इसी पुस्तक में एक अन्य स्थान पर कहा गया है, " वह एक ईश-निंदक और मूर्ति पूजक था और रोमन सिपाही इससे पूरी तरह बेफिक्र थे। हमने जोर दिया कि उसे अपने किये की सजा मिलनी ही चाहिए। हमने रोमन राज्यपाल को यह विश्वास भी दिलाया ( सीधे शब्दों में उसे मानने को बाध्य किया ) कि इस विधर्मी और ढोंगी को मौत के घाट उतारा जाना चाहिए और हम इस पर गर्वित हैं।
शेफर ने अपनी पुस्तक पर प्रकाशित पब्लिशर्स वीकली में एक लेख में कहा, " मैं ईसाईयों और यहूदियों के बीच चल रही बातचीत को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचाना चाहता। किन्तु बातचीत के लिए ईमानदारी आवश्यक है और मैं सिर्फ ईमानदार होने का प्रयास कर रहा हूँ।“
Texe Marrs: आज काफी संख्या में मैसोनिक यहूदी तलमुड लेना चाहते हैं और इसे ईसाई बनाना चाहते हैं। आप कैसे इस विधर्मी किताब़ को ले सकते हैं और इसे ईसाई बना सकते हैं? ईसा मसीह से संबंधित सभी झूठ इसमें हैं।
Rabbi Abrami: सभी चार्ज प्रतिनिधि ने यहूदियों को ईशु की मृत्यु का दोषी ठहराया और यह पोलुस की करनी है ये पेालुस की करनी है जो थिसलु नेकिया का पत्र अध्याय 14 एवं 15 पंक्ति में है।
क्योंकि हे भाईओं ख्रीष्ट यीशु में ईश्वर की मंडलियां जो यिहुदिया में है, उनके तुम अनुगामी बने कि तुमने अपने स्वदेशियों से वैसा ही दुःख पाया जैसा उन्होंने भी यिहुदिओं से. जिन्होंने प्रभु यीशु को और भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला
पादरी एंडरसन: अब ये क्या कहता है?
Rabbi Abrami: यह जहर है। जिसने ईसाई पीढ़ी के मन को जहरीला बना दिया है। क्या यह आपको पता था?
पादरी एंडरसन: अत:, १ थिस्सलोनियंस २.…
Rabbi Abrami: यह पोलुस है। आज तक 26 प्रतिशत अमेरिकी यही मानते हैं कि यहूदी ही ईशु की मृत्यु के जिम्मेदार हैं।
Texe Marrs: मेल गिब्सन ने जब अपनी फिल्म “द पैशन ऑफ द क्राइस्ट” का प्रदर्शन किया, तो लोगों ने कहा, “ओह, वो तो यहूदी-विरोधी है! कितना शैतान आदमी है! वो कहता है ईसा मसीह को यहूदियों ने मारा!” वैसे, बाइबिल भी यही कहती है।
Rabbi Abrami: ष्च्ंेेपवद व िजीम ब्ीतपेजष् फिल्म में दिखाई गई थी तो यह 26 से 36 प्रतिशत हो गया था। क्योंकि लोग बहुत सीधे हैं यह फिल्म यहूदियों को बुरे लेागों का दर्जा देती है जो कि सब बकवास है।
पादरी एंडरसन: यहूदी कहते हैं कि 'उन्होंने यीशु को मारा' एक मिथक है। अब मैं आपको समझाता हूँ कि यह कोई मिथक नहीं है। यह बाइबिल में है।
Rabbi Abrami: ईसाई इसे मानते हैं और आज भी मानते हैं। ये उनके मन की गहराई में बसे हैं। वे सभी यहूदी को दोषी ठहराते हैं जबकि कोई यहूदी तब थे ही नहीं।
पादरी एंडरसन: अंक ३:१३ में देखो।
"इब्राहीम और इसहाक और याकूब के ईश्वर ने अपने सेवक यीशु की महिमा प्रगट किई जिसे तुमने पकड़वाया उसको पिलात के सम्मुख नकारा जब कि उसने उसे छोड़ देने को ठहराया था."
पादरी एंडरसन: वह हज़ारों यहूदियों के बीच प्रचार करते हुए कहता है,
"और अब हे भाइयों मैं जानता हूँ कि उन्होंने वह काम अज्ञानता से किया और वैसे तुम्हारे प्रधानों ने भी किया."
पादरी एंडरसन: एक मिनट रुको। मैं समझता था कि यह केवल राजाओं ने किया है। नहीं, उसने कहा," तुमने किया जैसा कि तुम्हारे राजाओं ने भी किया। " मतलब यह केवल राजाओं ने नहीं किया, प्रजा के लोगों ने भी किया। यदि हम इंजील पढ़ें, तो लोग चिल्ला रहे थे, हज़ारों की तादाद में यहूदी चिल्ला रहे थे, " उसे सूली पर चढ़ाओ।" और वह कहता है," क्या मैं तुम्हारे राजा को सूली पर चढ़ाऊँ ?" " हमारा कोई राजा नहीं, केवल सीज़र है। " " तो मैं इस सही आदमी के खून के उत्तरदायित्व से मुक्त हूँ। " रोमन पिलातुस ने कहा। " उन्होंने उत्तर दिया, " हाँ, हाँ यह खून हम पर और हमारे बच्चों होगा।"
Texe Marrs: इसमें कहा गया कि ईसा मसीह ने यहूदी धर्म को भ्रष्ट किया, और उनके गुनाहों की सज़ा के तौर पर, अब वो नर्क की आग में जल रहे हैं, और हमेशा जलते रहेंगे।
Pastor Coleman: वे ईसा मसीह से नफ़रत करते हैं। वे उनके नाम से भी नफ़रत करते हैं। मैं सोचता हूँ ऐसा इसलिए हैं क्योंकि वे ईश्वर की नहीं शैतान की संताने हैं। इसीलिए शैतान- कल्पना कीजिए ईसा मसीह के प्रति उसके पास कितनी नफ़रत होगी, तो आप क्या सोचते हैं उसकी संतानों के पास भी तो यही होगा?